भारत में, जीभ का कैंसर मुह मे होने वाला दूसरा सबसे आम कैंसर है। मोटे तौर पर, सभी मुह मे होने वाले कैंसर मे से 40% जीभ में होते हैं।
जीभ के कैंसर के मुख्य कारण
▶️जीभ के कैंसर के सबसे आम कारण तंबाकू और शराब का सेवन हैं।
▶️सिगरेट धूम्रपान और तंबाकू टूथ पाउडर आवेदन(गुड़ाखू/मिश्री) सहित अपने सभी रूपों में तंबाकू जीभ के कैंसर का कारण बन सकता है।
▶️इसके अलावा नुकीले दांत जो लंबे समय तक जीभ को चोट पहुंचाते हैं जीभ के कैंसर का कारण हो सकते हैं।
▶️ वायरल संक्रमण (ह्यूमन पेपिलोमा वायरस) जीभ के पिछले हिस्से के कैंसर के लिए जिम्मेदार है।
जीभ के कैंसर के लक्षण
⏺️दो सप्ताह से अधिक समय में भी ना भरने वाले जीभ के छाले
⏺️निगलने में कठिनाई
⏺️बात करने में कठिनाई
⏺️आवाज में बदलाव
⏺️जीभ का बाहर ना आ पाना
⏺️अत्यधिक लार बनना
जीभ के कैंसर का निदान
✅️यदि रोगी में उपरोक्त लक्षणों में से कोई भी है, तो उन्हें कैंसर सर्जन या चिकित्सक को दिखाना चाहिए।
✅️कैंसर विशेषज्ञ रोगी के मुह की अच्छे से जांच करेंगे और छाले या गठान से सुन्न कर के एक छोटा टुकड़ा लेंगे और उसे जांच के लिए भेजेंगे जिसे बायोप्सी कहा जाता है।
❌️बायोप्सी से कैंसर के फैलने का कोई खतरा नही बढ़ता है । बायोप्सी एक सुरक्षित प्रक्रिया है। यह कैंसर का पहला प्रमाण है।
✅️रोगी को जीभ की मांसपेशियों और लिम्फ नोड्स में बीमारी के प्रसार का पता लगाने के लिए जीभ और गर्दन का एमआरआई कराने की सलाह दी जाती है
▶️यदि बीमारी उन्नत अवस्था में है तो फेफड़े और हड्डियों जैसे अन्य अंगों में बीमारी के प्रसार को देखने के लिए छाती का सीटी स्कैन या पूरे शरीर का पेट स्कैन कराने की सलाह दी जाती है।
जीभ के कैंसर का इलाज
⏺️जीभ के सामने के दो तिहाई हिस्से के कैंसर का सबसे अच्छा उपचार सर्जरी है। 💯
⏺️सर्जरी के दौरान, कैंसर सर्जन छाले को एवं उसके आसपास सामान्य जीभ के 1 सेमी को निकाल देंगे।इसे वाइड ग्लोसेक्टामी कहते हैं।
⏺️बची हुई जीभ अगर पर्याप्त है तो उसे टाके ले कर बंद कर दिया जाता है इसे प्राइमरी क्लोजर कहा जाता है।
⏺️यदि सिर्फ टांके के साथ सरल बंद करना संभव नहीं है, तो कैंसर सर्जन शरीर के दूसरे हिस्से से चमड़ी ले कर जीभ का पुनःर्निममाण करते हैं। इसमे कलाई(रेडियल फोरआर्म फ्लैप), छाती(पीएमएमसी फ्लैप) जांघ, गर्दन (सबमेंटल फ्लैप) से त्वचा ले सकते है।
⚡️चूंकि जीभ कैंसर में कैंसर के सेल्स गर्दन की ग्रंथियों (लिम्फ नोड्स) मे जा सकते है, इसलिए इन ग्रंथियों को सर्जरी के दौरान निकालना जरूरी है इसे नेक डिसेक्शन कहते हैं।
🔆यदि कैंसर उन्नत चरण में है, तो कैंसर सर्जन कैंसर चिकित्सक (मेडीकल आंकोलाजिस्ट) को कीमोथेरेपी के दो या तीन कोर्स देने के लिए सलाह दे सकता है जो बीमारी को कम करने में मदद करेगा और फिर सर्जरी करना आसान होगा।
⚡️ कभी-कभी, कैंसर उन क्षेत्रों (जीभ के पीछे वाला हिस्सा जिसे बेस टंग कहते हैं) में फैल गया है जहां सर्जरी संभव नहीं हो सकती है, उस स्थिति में, रोगी को कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी को साथ मे मिला कर दिया जाता है (रेडिकल कीमोरेडिएशन)।
सर्जरी के बाद रिकवरी
▶️सर्जरी के बाद, रोगियों को नाक से पेट में डाली गई ट्यूब (राइल्स ट्यूब) के माध्यम से खिलाया जाता है।
▶️ एक बार जब टांके ठीक हो जाते हैं, जिसमें लगभग 10-12 दिन लगते हैं, तो रोगियों को मुंह से लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है, और राइल्स ट्यूब हटा दी जाती है।
▶️ रोगी सर्जरी के बाद 10-14 दिनों के भीतर सामान्य आहार खा सकते हैं।
▶️अधिकांश रोगी सर्जरी के 7-10 दिनों के बाद बात कर सकते हैं और सर्जरी के बाद उनकी आवाज समझ में आती है।
▶️जीभ के कैंसर की सर्जरी के बाद चेहरे के आकार मे ज्यादा कुछ खास बदलाव नही आता।
रेडियोथेरेपी और कीमोथेरेपी जैसे अन्य उपचारों की आवश्यकता
⏺️सर्जरी के बाद, यदि बीमारी 8मिमी से ज्यादा गहराई मे गई है (स्टेज 2/3) या गर्दन की लिम्फ ग्रंथियों मे बीमारी गई है अथवा किसी मार्जिन के पास सूक्ष्म रूप मे बीमारी रह गई हो तो मरीज को सिकाई एवं कीमोथेरेपी लेने की सलाह दी जाती है ।
⏺️इससे सूक्ष्म रोग को समाप्त करने का प्रयास किया जाता है और बीमारी वापस आने की संभावना को और कम किया जाता है।
⏺️इसे आपरेशन के एक महीने बाद चालु किया जाता है और हर दिन ढ़ेड़ महीने तक देते हैं(30-33 डोज)।
बीमारी वापस आने की संभावना
⚡️सर्वोत्तम संभव उपचार के बावजूद, हमेशा बीमारी वापस आने का खतरा होता है, इसलिए मरीज़ को कैंसर सर्जन के साथ लगातार फोलो अप करने की सलाह दी जाती है।
इलाज के बाद फोलो अप
⚡️मरीज को पहले दो वर्षों के लिए हर तीन महीने में और उसके बाद सर्जरी के बाद 5 साल तक हर 6 महीने में फोलो अप करने की सलाह दी जाती है।